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भारत के सबसे लोकप्रिय योग गुरू बाबा रामदेव आगामी 4 जून को दिल्ली के जंतर मंतर पर भ्रष्टाचार और काले धन को वापस लाने के लिए एक व्यापक सत्याग्रह आंदोलन करने वाले है. बाबा रामदेव ने अपने राजनीति में आने की घोषणा कुछ साल पहले ही की थी लेकिन इस बार वह पूरी तैयारी के साथ जनता के सामने आ रहे हैं और वह भी एक सशक्त हथियार और विषय के साथ.
सरकार के लिए महंगाई, भ्रष्टाचार और कालाधन कुछ ऐसे मसले बन चुके हैं जिनसे कभी भी सरकार के गिरने का अंदेशा बना हुआ है और ऐसे में रामदेव की यह चोट अवश्य ही यूपीए सरकार की नींद उड़ा देगी.
बाबा रामदेव ने नारा लगाया है कि “देश को बचाना है, काला धन वापस देश में लाना है.” बाबा रामदेव की आम जनता के बीच अच्छी पैठ भी है जिसका फायदा उन्हें इस आंदोलन के दौरान जरुर होगा. कई मशहूर हस्तियों ने पहले ही रैली में शामिल होने की बात स्वीकारी है, ऐसे में 4 जून, 2011 को दिल्ली में यूपीए सरकार के लिए मुसीबत भरा दिन रहेगा. आम जनता के योग गुरू का देश की सरकार पर यूं आरोप लगाना और देश से आह्वान करना कि वह अपने देश को बचाएं बहुत बड़ी बात होती है.
बाबा रामदेव इससे पहले भी कई बार यूपीए सरकार के खिलाफ बयान देते रहे हैं और छोटी-छोटी रैलियां निकालते रहे हैं लेकिन इस बार वह बड़े पैमाने पर दिल्ली हिलाने की फिराक में हैं. लेकिन राजनीति में अभी अभी कदम रखने वाले बाबा रामदेव का यह कदम बहुत कुछ पब्लिसिटी इकट्ठा करने का एक जरिया लगता है. रामदेव राजनीति में पैर जमाना चाहते हैं और ऐसे में यूपीए सरकार को घेरकर और जनता की सहानुभूति हासिल करके वह आगे का रास्ता आसान बनाने की जुगाड़ में हैं.
बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान यात्रा के पूरे होने के बाद इस सत्याग्रह की शुरुआत की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार को भ्रष्टाचार से निपटने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाना चाहिए. बाबा रामदेव चाहते हैं कि काले धन और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार विशेष कानून बनाए.
माना जा रहा है कि बाबा रामदेव के इस आंदोलन में सिर्फ दिल्ली में ही एक लाख लोग अनशन पर बैठेंगे और इसके लिए बाबा ने पूरी तैयारी भी कर रखी है. बाबा रामदेव ने देश के कोने-कोने में घूमकर लोगों को काला धन वापस लाने के लिए जागरुक होने का आह्वान किया है. बाबा रामदेव का यह आंदोलन भारत के लिए बहुत बड़ा मौका होगा भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होने का.
इससे पहले जंतर-मंतर पर कुछ महीने पहले अन्ना हजारे ने यूपीए सरकार की नींद हराम कर दी थी. आलम यह था कि देश भर की जनता क्रिकेट विश्व कप को छोड़कर अन्ना हजारे को प्राथमिकता दे रही थी. और अब देश के सबसे बड़े योग गुरु का देश में फैले भ्रष्टाचार को मिटाओ आंदोलन जरूर जनता को दुबारा जंतर-मंतर की राह पर वापस लाने को मजबूर करेगा.
हालांकि बाबा रामदेव के आंदोलन की तुलना अन्ना हजारे के अनशन से करना बेमानी होगा क्यूंकि देश में रामदेव के हजारों-करोड़ों प्रशंसक जरूर हैं पर बाबा रामदेव का आम जनता के बीच उस तरह का सामंजस्य नहीं है जैसा अन्ना हजारे का है. फिर भी उम्मीद है कि बाबा रामदेव अपने आंदोलन की बदौलत एक तीर से दो शिकार कर लेंगे. पहला वह सरकार में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे दूसरा राजनीति में कदम जमाने के लिए इससे बेहतर मौका तो हो ही नहीं सकता.
4 जून को कहानी साफ हो जाएगी कि बाबा रामदेव अन्ना हजारे की तरह देश की जनता को एकजुट कर सरकार को झुका पाते हैं या नहीं?
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