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भारत एक ऐसी भूमि है जहां बारहों महीने त्यौहारों का मौसम रहता है. अक्टूबर के महीने में अब श्राधों की समाप्ति और माता के पावन नवरात्रों के साथ त्योहारों का समय शुरु हो चुका है. पूरे देश में मां दुर्गा और काली पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर हम व्रत रखकर मां के नौ अलग-अलग रूप की पूजा करते हैं. जगह जगह रामलीलाएं होती है और असत्य व पाप पर सत्य की विजय का बिगुल बजता है.
यह त्यौहार न सिर्फ धार्मिक लक्षणों से बेहद अहम है बल्कि यह त्यौहार ही है जो हमारे देश की विभिन्न संस्कृति में एकता को संजोता है. जहां उत्तर में लोग नवरात्रों का व्रत रखते हैं और मां दुर्गा की पूजा करते हैं वहीं कलकत्ता में लोग मां काली की पूजा करते हैं तो अन्य जगह रात के समय रामलीला के माध्यम से पुरुषोत्तम राम की जीवनी का प्रचार प्रसार होता है.
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी है. नवरात्रि ही एक ऐसा पर्व है जिसमें महाकाली, महालक्ष्मी और माँ सरस्वती की साधना करके जीवन को सार्थक किया जा सकता है.
इस साल नवरात्रि 8 अक्टूबर से शुरु है जो 16 तारीख तक चलेगा. मां के कई रूप हैं पर नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है .
1. शैलपुत्री : नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती देवी को ही शैलपुत्री कहा गया है. हिमालय की तपस्या व प्रार्थना से भगवती ने हिमालय के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था जिस कारण शैलपुत्री कहा जाता है. इस दिन निम्न मंत्र का जाप करें:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
2. ब्रह्मचारिणी : मां भगवती का द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी है. पूजा अर्चना के पश्चात निम्नलिखित मंत्र का जप करें:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
इस मंत्र से ब्रम्हा की प्राप्ति तो होगी और उसके साथ में भक्त की इच्छाओं की भी पूर्ति होती है. पूर्ण श्रद्धा, पवित्रता और संयम से की गई साधना निश्चित रूप से फलीभूत होती है.
पूजन से संबंधित विभिन्न अहम बातें
इस व्रत में उपवास या फ़लाहार आदि का कोई विशेष नियम नहीं है. प्रात:काल उठकर स्नान करके मन्दिर में जाकर या घर पर ही नवरात्रों में दुर्गाजी का ध्यान करके कथा पढ़नी चाहिए. कन्याओं को यह व्रत विशेष फ़लदायक माना जाता है. श्री जगदम्बा की कृपा से सब विघ्न दूर हो जाते हैं, कथा के अन्त में बार-बार दुर्गामाता तेरी सदा जय हो का उच्चारण करना चाहिये.
अपने घर के पूजा स्थान में भगवती दुर्गा, भगवती लक्ष्मी और मां सरस्वती के चित्रों की स्थापना करके उनको फूलों से सजाकर पूजन करें. नौ दिनों तक माता का व्रत रखें. अगर शक्ति न हो तो पहले, चौथे और आठवें दिन का उपवास अवश्य करें. मां भगवती की कृपा जरूर प्राप्त होगी. नौ दिनों तक घर में मां दुर्गा के नाम की ज्योत अवश्यो जलाएं. अधिक से अधिक नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप अवश्यस करें. इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्यो करें. पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है. अष्टामी व नवमी के दिन कन्या पूजन करें.
तो निम्न समस्त बातों का ध्यान रखकर आप नवरात्रों को खुशहाल और अत्यंत फलदायी बना सकते हैं. इसी के साथ नवरात्रों में डांडिया और दुर्गापूजा आदि में शामिल हो इस फेस्टिवल का अधिक से अधिक से आनंद उठाइए.
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