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जिससे जोड़ा नाता, उसी ने तोड़ा भरोसा

संपादकीय ब्लॉग
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दुनियां एक विश्वास के संकट से गुजर रही है. अमूमन आप जिस भी व्यक्ति या व्यवस्था पर भरोसा करते हैं वही आपको धोखा दे रहा होता है. हाल की कई घटनाएं इस बात की पुष्टि करती नजर आती हैं. इस संवेदनशील तथ्य पर अपनी भावनाओं को जाहिर कर रहे हैं जाने-माने फिल्मकार महेश भट्ट.

 

हममें से ज्यादातर ने जहरीले बिच्छू और मेंढक की कहानी सुनी होगी. एक बिच्छू मेंढक के पास जाकर कहता है कि क्या वह अपनी पीठ पर बैठाकर उसे उफनती हुई नदी पार करा सकता है. मेंढक कहता है कि मैं आपको नदी पार नहीं कराना चाहता. मैं जानता हूं कि तुम बीच धार में निश्चित ही मुझे डंक मारोगे. बिच्छू कहता है कि मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं. अगर मैं ऐसा करूंगा तो हम दोनों ही मारे जाएंगे. उसकी बातों पर भरोसा न होने के बाद भी मेंढक जोखिम उठाने को तैयार हो जाता है. बीच धार में पहुंचकर वही होता है जिसका मेंढक को अंदेशा था. जहर से असहाय मेंढक नदी में डूबने लगता है. डूबने से पहले मेंढक पूछता है तुमने ऐसा क्यों किया, अब दोनों में से कोई भी नहीं बचेगा. डूबते हुए बिच्छू ने दुखी होकर कहा कि मैं क्या करूं, डंक मारना मेरी प्रवृत्ति है और मैं खुद को नहीं रोक पाया.

 

हमें जिस बात का सबसे ज्यादा डर होता है अकसर जीवन में वही होता है. हमें अमूमन ऐसी सभी ऐसी संस्थाओं ने ठगा है, जिन्हें हम धार्मिक मानकर विश्वास करते रहे थे. समय के साथ हमारी उत्सुकता बढ़ती गई और हम जागरूक प्राणी में तब्दील हो गए. इस दौड़ में हमने मानव होने की सबसे बड़ी खासियत विश्वास को कहीं खो दिया है. भरोसा हमारे सामाजिक जीवन की सांस है. हम सभी जानते हैं कि उस समय हमारा डर अचानक बढ़ जाता है जब पता चलता है कि हमारे किसी बहुत ही करीबी का आपरेशन करने वाला डाक्टर हमें पैसा कमाने के जरिये के तौर पर देख रहा है. मुंबई हवाई अड्डे के एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के ड्यूटी पर नींद लेने के कारण अनगिनत बार दो हवाई जहाजों की टक्कर होते-होते बची है. ऐसे में मुंबई से बाहर जाने के लिए फ्लाइट लेना कितना तनाव भरा होता होगा.

 

बीते हफ्ते हुए आईपीएल तमाशे के बाद शशि थरूर जैसे नए दौर और नई उम्र के राजनेताओं पर भरोसा करना भी अब मुश्किल हो गया है. ऐसे नेताओं को हमने और आपने यह सोचकर संसद भेजा था कि वे हर पार्टी में घुस चुके भ्रष्ट नेताओं से कुछ अलग होंगे. प्यार, दोस्ती, अर्थव्यवस्था, सरकार, ईश्वर व उनके दूत और रोजमर्रा की सुरक्षा के प्रति हमारा भरोसा दिन-ब-दिन कमजोर पड़ता जा रहा है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान तक पर लोगों को भरोसा नहीं रहा है. दिन-रात की निगरानी और उच्च तकनीकी उपकरणों के बावजूद एक भी मौसम विशेषज्ञ आइसलैंड के नीचे फटे ज्वालामुखी के बारे में पूर्वानुमान नहीं लगा पाया.

 

भरोसे की कमी के बीच चल रहे इस संसार में आश्चर्य की बात नहीं होगी अगर कोई व्यक्ति महज अपने लालच और स्वार्थ को पूरा करने के लिए आपके साथ धोखा कर दे. दरअसल, धोखा करने वाले व्यक्ति अक्सर भरोसे के लायक लोगों को नहीं खोज पाते और उनका भरोसा तमाम लोगों से उठ चुका होता है. राजनीतिक प्रणाली के पहलू पर यह कहा जा सकता है कि मानवीय प्रकृति में मूलभूत रूप से खोट आ चुका है. ये लोग भावनाओं को दरकिनार कर सिर्फ एक-दूसरे पर हावी होने और आगे निकलने के सौदों में लगे रहते हैं. हम ऐसा समाज बनते जा रहे हैं, जिसके ज्यादातर लोग इस जुगत में लगे हैं कि दूसरे को धोखा देने का सबसे बेहतर तरीका क्या हो सकता है. सत्यम और हजारों दूसरे घोटाले आए दिन हमारे समाचारों की हेडलाइन बन रहे हैं.

 

आज भरोसे की कमी दो रूप में नजर आती है. एक में दो लोगों के बीच विश्वास पूरी तरह से गायब रहता है. वहीं दूसरे में लोगों की शक्की निगाहें किसी का हमेशा पीछा करती रहती हैं. यह अविश्वास के दोनों रूपों में ज्यादा खतरनाक माना जात है. हम सभी जानते हैं कि भरोसा टूटने का डर हमारे दिल को धक्का पहुंचाता है. एक बुद्धिमान व्यक्ति ने मुझसे कहा था कि खुशी के लिए अनिश्चितता को अनदेखा करने की योग्यता और क्षमता का होना बहुत जरूरी है.

 

हम बहुत कुछ खो चुके हैं लेकिन अभी भी उम्मीद बाकी है. मेंढक ने बिच्छू की डंक मारने की आदत को जानते हुए भी नदी के पार ले जाने में मदद की थी. हम सभी में एक बिच्छू है जो मदद करने वाले हाथ पर डंक मारने को उतावला रहता है और एक मेंढक है जो हर एक की मदद के लिए हाथ बढ़ाने को बेताब रहता है. हमारे अंदर के ये दोनों पक्ष हमेशा एक-दूसरे से लड़ते रहते हैं. इन दोनों में से एक की जीत इस बात पर निर्भर करती है कि आप दोनों में से किसे भरोसे के लायक समझते हैं.

Source: Jagran Yahoo

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